Thursday, May 31, 2018

त्रिफला चूर्ण के फायदे और नुकसान Triphala churna uses, benefits and side effects in Hindi

त्रिफला चूर्ण के फायदे और नुकसान Triphala churna uses, benefits and side effects in Hindi












त्रिफला शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'तीन फल'।ले‍किन आयुर्वेद का त्रिफला 3 ऐसे फलों का मिलन है जो तीनों ही अमृतीय गुणों से भरपूर है। आंवला, बहेड़ा और हरड़। आयुर्वेद में इन्हें अमलकी, विभीतक और हरितकी कहा गया है। त्रिफला में इन तीनों को बीज निकाल कर समान मात्रा में चूर्ण बनाकर कर लिया जाता है।

Triphala churna in hindi त्रिफला एक आयुर्वेदिक हर्बल चूर्ण है जिसे तीन फलों अमालकी (आंवला), बिभितकी (बहेड़ा) और हरितकी (हरड़) को पीसकर त्रिफला चूर्ण बनाया जाता है। इन तीनों फलों में पांच अलग-अलग तरह के स्वाद होते हैं त्रिफला चूर्ण के फायदे अनेक है और इनका उपयोग कई तरह की बीमारियों को ठीक करने में किया जाता है। आयुर्वेद में ऐसी कम ही जड़ी-बूटियां मौजूद हैं जिनमें मीठा, खट्टा, नमकीन, कड़वा और तीखा पांच अलग-अलग तरह के स्वाद आते हैं। त्रिफला चूर्ण अपने अनोखे स्वाद की वजह से सेहत के लिए कई मायनों में उपयोगी है। हरितकी वात दोष को दूर करने के लिए, बिभितकी कफ दोष में और अमालकी पित्त दोष में इस्तेमाल किया जाता है।
आयुर्वेद में माना जाता है कि यदि वात, कफ और पित्त दोष ठीक रहे तो व्यक्ति की सेहत भी ठीक रहती है। त्रिफला इन दोषों के असंतुलन को ठीक कर स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। आइये जानते है त्रिफला चूर्ण के फायदे और नुकसान के बारें में


त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि – Triphala churna banane ki vidhi in hindi

एक भाग हरड़, दो भाग बहेडा और एक चौथाई भाग आंवला का मिश्रण होता है। इन तीनों को धूप में सूखाकर महीन पीस लें। कपड़े से छानकार काँच की शीशी में भरकर रख लें।
एक रिसर्च में पाया गया है कि त्रिफला में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट कैंसर से बचाव में सहायक होते हैं। इसके अलावा यह शरीर से मैलिक एसिड, गैलिक एसिड, मुक्त कणों को खत्म कर कैंसर से शरीर की सुरक्षा करता है। यहां हम आपको त्रिफला चूर्ण का उपयोग कैसे करें, त्रिफला चूर्ण के सेवन के फायदे और त्रिफला चूर्ण के नुकसान के बारे में भी बताएंगे।

त्रिफला चूर्ण का सेवन कैसे करें – Triphala churna ka sevan kaise kare in Hindi








त्रिफला चूर्ण का उपयोग कैसे करें यह जानने से पहले आपको यह बता दें कि त्रिफला सभी मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध होता है। यह चूर्ण, कैप्सूल, टैबलेट और लिक्विड फॉर्म में भी बाजारों में उपलब्ध है।
वैसे तो त्रिफला चूर्ण को आमतौर पर खाली पेट लिया जाता है लेकिन इसे कुछ अन्य तरीकों से भी खाया जा सकता है। आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण को चाय बनाते समय एक कप उबलते पानी में मिलाकर इसे हल्का ठंडा करने के बाद भी लिया जा सकता है। इसके अलावा भोजन करने से पहले इसे घी या शहद के साथ भी लिया जा सकता है। त्रिफला के टैबलेट या कैप्सूल को आमतौर पर भोजन से पहले दिन में दो बार लिया जाता है। इसके अलावा त्रिफला के लिक्विड की कम से कम 30 बूंदों को पानी या जूस में मिलाकर दिन में एक से तीन बार लिया जा सकता है।
पाचन टॉनिक के रूप में त्रिफला का सेवन रात में भोजन करने के दो घंटे बाद और सोने से आधे घंटे पहले किया जाता है। जब भी आप त्रिफला चूर्ण, कैप्सूल या टैबलेट खरीदते हैं, उसके पैकेट पर इसकी खुराक की मात्रा लिखी होती है। कम मात्रा में त्रिफला चूर्ण का सेवन करने पर यह धीरे-धीरे ब्लड को प्यूरीफाई करता है।
अधिकतर लोग त्रिफला चूर्ण लेने के आदी हो जाते हैं और लंबे समय तक इसका सेवन करते रहते हैं। लेकिन डॉक्टर सलाह देते हैं कि दस हफ्तों तक त्रिफला चूर्ण का सेवन करने के बाद इसे दो से तीन हफ्तों के लिए बंद कर देना चाहिए। इससे शरीर को राहत मिलती है और शरीर में त्रिफला का प्रभाव भी बना रहता है।

त्रिफला चूर्ण के फायदे – health benefits of Triphala churna in Hindi

रिसर्च में पाया गया है कि त्रिफला चूर्ण का हाइपो-ग्लाइसेमिक प्रभाव शरीर में इंसुलिन के स्तर को कम नहीं होने देता है। त्रिफला चूर्ण इंसुलिन के लेवल को बढ़ाने के लिए कोशिकीय प्रतिरोध को कम करता है और कोशिकाओं में इंसुलिन के सही तरीके से उपयोग में मदद करता है। इसलिए त्रिफला चूर्ण का सेवन को डायबिटीज के मरीजों के इलाज में काफी प्रभावी माना जाता है।


त्रिफला चूर्ण के फायदे आंखों के लिए – Triphala for Eyesight in Hindi

त्रिफला चूर्ण के फायदे आंखों के लिए - Triphala for Eyesight in Hindi
तीन चीजो से बने त्रिफला चूर्ण में आंखों की मोतियाबिंद के लक्षणों को दूर करने के गुण पाये जाते हैं। आयुर्वेद में यह माना जाता है कि त्रिफला से नेत्र की रोशनी बढ़ती है और मोतिबिंद सहित आंखों की कई बीमारियों से भी हमें बचाता है। त्रिफला चूर्ण में यष्टिमधु और लौहभस्म के अलावा सप्तामृत लौह की मात्रा पायी जाती है जो आंख संबंधी बीमारियों के इलाज में उपयोगी है। इसके अलावा शुद्ध मक्खन से बना त्रिफला घृत और त्रिफला पावडर भी आंखों के लिए फायदेमंद है। यह आंख के रोगों से दूर रखता है और दृष्टि बढ़ाता है।

त्रिफला के फायदे वजन कम करने के लिए – Benefits of triphala churna weight loss in hindi

त्रिफला के फायदे वजन कम करने के लिए - Benefits of triphala churna weight loss in hindi
यह मेटाबोलिज्म को ठीक करता है और अधिक वजन घटाने में मददगार है। यह पाचन और भूख को बढ़ाने, लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या को बढ़ाने और शरीर में अवांछनीय वसा की मात्रा को कम करने में सहयोग करता है। त्रिफला को एक चाय या काढ़े के रूप में लिया जा सकता है। त्रिफला काढ़े में शहद मिलाकर पीने से वजन कम करने में भी मदद मिलती है।

त्रिफला चूर्ण के फायदे कब्ज में भी लाभदायक – Triphala in Constipation in Hindi

त्रिफला चूर्ण के फायदे कब्ज में भी लाभदायक Triphala in Constipation in Hindi
त्रिफला चूर्ण कब्ज दूर करने के लिए एक घरेलू उपाय है। इसके सेवन से मलत्याग करने में आसानी होती है और पेट अच्छी तरह से साफ हो जाता है। इसके अलावा त्रिफला चूर्ण का सेवन उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है जो रोजाना शौच करने में समस्या होती है और पूरे दिन उन्हें भारीपन सा लगता है। एक चम्मच त्रिफला चूर्ण के नियमित सेवन से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है।

उच्च रक्तचाप को कम करने में त्रिफला चूर्ण के फायदे – Triphala churna for High Cholesterol in Hindi

उच्च रक्तचाप को कम करने में त्रिफला चूर्ण के फायदे Triphala churna for High Cholesterol in Hindi
तीन चीजो से बने त्रिफला चूर्ण में लिपिड को नियंत्रित करने के महत्वपूर्ण गुण पाये जाते हैं। त्रिफला चूर्ण का सेवन करने करने के कुछ ही हफ्तों बाद यह सीरम कोलेस्ट्रॉल को घटा देता है। इसके अलावा यह खून में लाइपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल एवं ट्राइग्लिसराइड के स्तर को भी घटाने में उपयोगी है।

त्रिफला चूर्ण के फायदे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाले – Triphala churna for Flush Out Toxins From Body in Hindi

त्रिफला चूर्ण के फायदे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाले Triphala churna for Flush Out Toxins From Body in Hindi
आयुर्वेदिक त्रिफला चूर्ण में खून को शुद्ध और साफ करने के गुण मौजूद होते हैं। यह शरीर में ब्लड को साफ करता है और ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखता है। इसके अलावा यह लीवर और फेफड़े की भी सफाई करता है। त्रिफला चूर्ण लीवर और फेफेड़े से जुड़ी बीमारी जैसे पीलिया और ब्रोन्काइटिस से भी बचाव करता है। त्रिफला चूर्ण में एंटीऑक्सीडेंट गुण होने के कारण यह कई तरह के बुखार से लड़ता है और इम्यूनिटी सिस्टम को भी मजबूत रखता है। और पढ़े – लीवर की कमजोरी कारण लक्षण और दूर करने के उपाय

त्रिफला चूर्ण के नुकसान – Side Effects Of Triphala churna in Hindi

त्रिफला चूर्ण के नुकसान Side Effects Of Triphala churna in Hindi

त्रिफला चूर्ण के नुकसान गर्भावस्था में – Triphala churna Not Safe During Pregnancy in Hindi

गर्भावस्था में त्रिफला चूर्ण हानिकारक Triphala churna Not Safe During Pregnancy in Hindi
गर्भावस्था के दौरान त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से यह आंत्रशोथ को उत्तेजित कर देता है। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके प्रभाव से कभी-कभी गर्भपात की भी संभावना बनी रहती। इसलिए आमतौर पर प्रेगनेंसी के दौरान आयुर्वेद के चिकित्सक किसी भी महिला को त्रिफला चूर्ण का सेवन न करने की सलाह देते हैं। और पढ़े – गर्भावस्था के समय क्या न खाएं

त्रिफला चूर्ण से डायरिया का खतरा  – Triphala churna Causes Diarrhea in Hindi

त्रिफला चूर्ण से डायरिया का खतरा  Triphala churna Causes Diarrhea in Hindi
आयुर्वेदिक त्रिफला चूर्ण में पेट की सफाई करने के गुण पाए जाते हैं। यह आंतों की दीवारों को उत्तेजित कर देता है जिसकी वजह से आपका पेट गड़बड़ हो सकता है और आपको डायरिया हो सकता है और आपको बार-बार वॉशरूम जाने की जरूरत पड़ सकती है। लेकिन जिन लोगों को कब्ज की समस्या है उनके लिए त्रिफला चूर्ण उपयोगी है।

त्रिफला चूर्ण के नुकसान डिहाइड्रेशन में – Tiphala churna side effects Causes Dehydration in Hindi

त्रिफला चूर्ण के कारण डिहाइड्रेशन Triphala churna Causes Dehydration in Hindi
अधिक मात्रा में त्रिफला की खुराक लेने पर आपको डिहाइड्रेशन की भी समस्या हो सकती है। अधिक खुराक में त्रिफला अधिक तेजी से पेट की सफाई करता है जिससे शरीर से अधिक पानी निकल जाता है। जिसकी वजह से शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है और कभी-कभी व्यक्ति की हालत गंभीर भी हो सकती है।

त्रिफला चूर्ण का साइड इफेक्ट नींद आने में – Triphala churna side effects Disrupts Sleep Routine in Hindi

त्रिफला चूर्ण का साइड इफेक्ट नींद आने में Triphala churna Disrupts Sleep Routine in Hindi
ऐसी कई घटनाएं हैं जहां लोगों को त्रिफला चूर्ण का सेवन करने के बाद नींद में बाधा और इन्सोमेनिया की समस्या हो जाती है। इस समस्या से पीड़ित लोगों को त्रिफला चूर्ण की खुराक कम मात्रा में सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा उन्हें रात में सोने से पहले त्रिफला चूर्ण लेने के बजाय सुबह खाली पेट इसका सेवन करने की सलाह दी जाती है।

Patanjali Trikatu Churna Powder in Hindi (पतंजलि त्रिकटु चूर्ण पाउडर)

त्रिकटु चूर्ण के फायदे और नुकसान - Trikatu Churna Benefits and Side Effects in Hindi


आजकल अक्सर शरीर अनेक रोगों से घिरा रहता है. ऐसे में अगर आप हर रोज़ त्रिकटु  का  1/4 चम्मच शहद के साथ सेवन करेंगे तो आप अनेक रोगों से सहज ही छूट सकते हैं. ये आयुर्वेद में मल्टीविटामिन का विकल्प है इसको आयुर्वेद का सप्लीमेंट भी कहते हैं. आइये जाने इसको बनाने और सेवन की विधि और साथ में इसके सेवन में अपनाई जाने वाली सावधानियों के बारे में. और हाँ ये बाज़ार में बना बनाया बहुत सारी कंपनियों का आता है.

त्रिकटु चूर्ण :

  • सोंठ, काली मिर्च और छोटी पिप्पली के चूर्ण को त्रिकुटा/त्रिकटु कहते है। त्रिकटु या त्रिकुटा के तीनो ही घटक आम पाचक हैं अर्थात यह आम दोष का पाचन कर शरीर में इसकी विषैली मात्रा को कम करते हैं। आमदोष, पाचन की कमजोरी के कारण शरीर में बिना पचे खाने की सडन से बनने वाले विशले तत्व है। आम दोष अनेकों रोगों का कारण है। इसे धारण दवा मत समझियेगा, यह बड़े काम का चूर्ण है। विशेषकर सर्दी में यह आपको चमत्कारी परिणाम देगा इसलिए एक बार जरूर आजमाएँ और ऊर्जा से ओत प्रोत निरोगी हो जाएँ।






त्रिकटु चूर्ण के सेवन से 15 जबरदस्त लाभ


त्रिकटु चूर्ण एक बहुत ही प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है। त्रिकटु चूर्ण, को तीन (त्रि) कटु पिप्पली (long pepper), काली मिर्च (Black pepper) और सोंठ (dry ginger) बराबर मात्रा में मिला कर बनाया जाता है। त्रिकटु पाचन और श्वास सम्बन्धी समस्याओं में लाभकारी है।
त्रिकटु के औषधीय गुण
1. एंटी-वायरल Anti-viral: वायरस के खिलाफ प्रभावी
2. एंटी-इन्फ्लेमेटोरी Anti-inflammatory: सूजन को कम करने वाला
3. कफ निकालने वाला expectorant
4. वातहर Carminative
5. कफहर Phlegm reducing
6. एंटीहाइपरग्लैसिमिक Anti-hyperglycemic: रक्त में ग्लूकोज को कम करता है
7. वमनरोधी Anti-emetic: उलटी रोकने वाला
8. एंटीहिस्टामिन Anti-histamine
त्रिकटु के सेवन के लाभ
1. त्रिकटु लीवर / यकृत liver को उत्तेजित stimulates कर बाइल bile का स्राव recreation कराता है जो की पाचन के लिए आवश्यक है।
2. त्रिकटु का सेवन पाचक अग्नि को बढ़ाता है जिससे पाचन बेहतर होता है।
3. यह वातहर है।
4. यह फेट फूलना, डकार आना आदि परेशानियों को दूर करता है।
5. यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को भी दूर करने में सहयोगी है।
6. यह मेटाबोलिज्म metabolism को बढ़ाता है जिससे वज़न कम करने में सहयोग होता है।
7. यह पोषक तत्वों की शरीर में अवशोषण के लिए उपलब्धता को बढ़ा शरीर को बल देने में मदद करता है।
8. यह कफहर है।
9. यह कफ दोष के कारण बढे उच्च रक्तचाप Kapha based hypertension में लाभ करता है।
10. यह उष्ण प्रकृति hot potency के कारण कफ का नाश करता है और फेफड़ों को स्वस्थ्य करता है।
11. यह शरीर से आम दोष Ama Dosha को नष्ट करता है।
12. यह लिपिड लेवल Lipid level को कम करता है।
13. यह शरीर से वसा fat को कम करता है।
14. यह बुरे कोलेस्ट्रोल LDLsऔर ट्राइग्लिसराइड triglyceridesलेवल को कम करता है।
15. यह हिस्टामिन का बनना रोकता है इसलिए एलर्जी में लाभप्रद है।
त्रिकटु चूर्ण के चिकित्सीय उपयोग
1. त्रिकुटा का सेवन मुख्य रूप से पाचन और श्वास अंगों के रोगों में किया जाता है। यह तासीर में गर्म है और पित्त को बढ़ाता है तथा कफ को साफ़ करता है।
2. त्रिकुटा का सेवन मेटाबोलिज्म तेज़ करता है, इसलिए इसे वज़न कम करने के लिए भी खाया जाता है। इसे अनेकों आयुर्वेदिक दवाओं में भी डाला जाता है क्योकि यह दवा के अच्छे अवशोषण में मदद करता है bioavailability of other drugs। इसके अतिरिक्त यह वात-कफ हर भी है।
सेवन विधि और मात्रा
1. त्रिकुटा को आधा ग्राम से तीन ग्राम की मात्रा में ले सकते हैं।
2. इसे पानी अथवा शहद अथवा खाने के साथ मिला कर, लिया जा सकता है।
3. सांस रोग में इसे शहद के साथ लेना चाहिए।
4. भोजन करने से पंद्रह मिनट पहले इसे खाने से पाचन सही से होता है।
5. भोजन को सुपाच्य बनाने के लिए आप त्रिकुटा को भोजन पर छिड़क कर भी खा सकते हैं ।
त्रिकटु चूर्ण के सेवन में सावधानियाँ, साइड-इफेक्ट्स
1. यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।
2. अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
3. जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
4. शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है Bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
5. आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। त्रिकटु का सेवन गर्भावस्था में न करें।
त्रिकटु घर पर कैसे बनायें?
1. घर पर यह चूर्ण बनाने के लिए आपके पास पिप्पली, काली मिर्च और सोंठ (सूखा अदरक) का होना ज़रुरी है।
2. इन्हें अलग-अलग बारीक पीस, बराबर मात्रा में अच्छे से मिला दें। इस चूर्ण को कपड़े से छान लें और किसी एयर-टाइट कंटेनर में रख लें।

त्रिकुटा चूर्ण इसे बनाने का तरीका
सोन्ठ अथवा सुन्ठी अथवा सूखी हुई अदरक, काली मिर्च, छोटी पीपल. इस तीनों को बराबर बराबर मात्रा में लेकर कूट पीसकर अथवा मिक्सी में डालकर महीन चूर्ण बना लें. ऐसा बना हुआ चूर्ण “त्रिकटु चूर्ण” या त्रिकुटा के नाम से जाना जाता है.
त्रिकुटा चूर्ण के उपयोग – यह चूर्ण अपच, गैस बनना, पेट की आंव, कोलायटिस, बवासीर, खान्सी, कफ का बनना, सायनोसाइटिस, दमा, प्रमेह तथा बहुत सी बीमारियों में लाभ पहुंचाता है. शुण्ठी पाचन और श्वास अंगों पर विशेष प्रभाव दिखाता है. इसमें दर्द निवारक गुण हैं. यह स्वाद में कटु और विपाक में मधुर है. यह स्वभाव से गर्म है.
पीपल  उत्तेजक, वातहर, विरेचक है तथा खांसी, स्वर बैठना, दमा, अपच, में पक्षाघात आदि में उपयोगी है. यह तासीर में गर्म है. पिप्पली पाउडर शहद के साथ खांसी, अस्थमा, स्वर बैठना, हिचकी और अनिद्रा के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है. यह एक टॉनिक है.
काली मिर्च – मरिच या मरिचा, काली मिर्च को कहते हैं. इसके अन्य नाम ब्लैक पेपर, गोल मिर्च आदि हैं. यह एक पौधे से प्राप्त बिना पके फल हैं. यह स्वाद में कटु, गुण में गर्म और कटु विपाक है. इसका मुख्य प्रभाव पाचक, श्वशन और परिसंचरण अंगों पर होता है. यह वातहर, ज्वरनाशक, कृमिहर, और एंटी-पिरियोडिक हैं. यह बुखार आने के क्रम को रोकता है. इसलिए इसे निश्चित अंतराल पर आने वाले बुखार के लिए प्रयोग किया जाता है.
अदरक – अदरक का सूखा रूप सोंठ या शुंठी कहलाता है. एंटी-एलर्जी, वमनरोधी, सूजन दूर करने के, एंटीऑक्सिडेंट, एन्टीप्लेटलेट, ज्वरनाशक, एंटीसेप्टिक, कासरोधक, हृदय, पाचन, और ब्लड शुगर को कम करने गुण हैं. यह खुशबूदार, उत्तेजक, भूख बढ़ाने वाला और टॉनिक है. सोंठ का प्रयोग उलटी, मिचली को दूर करता है.

त्रिकुटा चूर्ण के अद्भुत फायदे – Trikuta churn ke fayde.

  1. इसे सेन्धा नमक के साथ मिलाकर खाने से वमन, जी मिचलाना , भूख का न लगना आदि मे लाभकारी है।
  2. अर्जुन की छाल के साथ बनाया गया इसका काढा हृदय रोगों में लाभ पहुंचाता है।
  3. खांसी, कफ, वायु, शूल नाशक, व अग्निदीपक। मात्रा 1/2 से 1 ग्राम प्रातः-सायंकाल शहद से।
  4. त्रिकटु १/२ चमच्च नित्य गुनगुने पानी से प्रयोग जोड़ों के दर्द में राहत देता है।
  5. त्रिकटु , हल्दी , त्रिफला , वायविडंग , और मंडूर को बराबर की मात्रा में मिलाकर , इसे घी और शहद के साथ लेने से पीलिया ठीक होता है
  6. सायनस में अगर कफ जम जाता हो तो त्रिकटु और रीठा पानी में मिला कर नाक में डालने से सारा जमा हुआ कफ बाहर निकल आता है.
  7. त्रिकुटा करंज और सेंधा नमक घी और शहद के साथ बच्चों को देने से सुखा रोग में लाभ होता है.
  8. त्रिकुटा, जवाक्षार, और सेंधा नमक छाछ के साथ लेने से जलोदर ठीक होता है।
  9. टॉन्सिल्स में सुजन के लिए त्रिकुटा और अविपत्तिकर चूर्ण को सामान मात्रा में ले कर , इसका एक चम्मच गुनगुने पानी से ले।
  10. त्रिकुटा, त्रिफला तथा मुस्तक जड़, कटुकी प्रकन्द, निम्ब छाल, पटोल पत्र, वासा पुष्प व किरात तिक्त के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) और गुडूची को लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की बराबर मात्रा लेकर काढ़ा बना लें। इसे दिन में 3 बार लेने से आभिन्यास बुखार ठीक हो जाता है।
  11. त्रिकुटा (सोंठ, मिर्च और पीपल), त्रिफला (हरड़, बहेड़ा और आंवला), पटोल के पत्तें, नीम की छाल, कुटकी, चिरायता, इन्द्रजौ, पाढ़ल और गिलोय आदि को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसका सेवन सुबह तथा शाम में करने से सन्निपात बुखार ठीक हो जाता है।
  12. त्रिकुटा के बारीक चूर्ण में शहद मिलाकर चाटने से खांसीठीक हो जाती है।
  13. कब्ज में त्रिकुटा (सोंठ, काली मिर्च और छोटी पीपल) 30 ग्राम, त्रिफला (हरड़, बहेड़ा और आंवला) 30 ग्राम, पांचों प्रकार के नमक 50 ग्राम, अनारदाना 10 ग्राम तथा बड़ी हरड़ 10 ग्राम को पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 6 ग्राम रात को ठंडे पानी के साथ लेने से कब्जकी शिकायत दूर हो जाती है।
  14. त्रिकुट, त्रिफला, सुहागे की खील, शुद्ध गन्धक, मुलहठी, करंज के बीज, हल्दी और शुद्ध जमालगोटा को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पिसकर चूर्ण बना लें। इसके बाद भांगरेके रस में मिलाकर 3 दिनों तक रख दें। इसे बीच-बीच में घोटते रहे। फिर इसकी छोटी-छोटी गोलियां बना लें और इसे छाया में सुखा लें। इसमें से 1-1 गोली खाना-खाने के बाद सेवन करने से यकृत के रोग में लाभ मिलता है।
  15. त्रिकुटा, जवाखार और सेंधानमक को छाछ (मट्ठा) में मिलाकर पीने से जलोदर रोग ठीक हो जाता है।
  16. त्रिकुटा, चीता, अजवायन, हाऊबेर, सेंधानमक और कालीमिर्च को पीसकर चूर्ण मिला लें। इसे छाछ (मट्ठे) के साथ सेवन करने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
  17. त्रिकुटा, चिरायता, बांसा, नीम की छाल, गिलोय और कुटकी को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। फिर इसे छानकर इसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर सेवन करें। इससे पीलिया कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
  18. त्रिकुटा, बड़ी करंज, सेंधानमक, पाढ़ और पहाड़ी करंज को पीसकर इसमें शहद और घी मिलाकर बच्चों को सेवन कराने से `सूखा रोग´ (रिकेट्स) ठीक हो जाता है।

त्रिकटु चूर्ण के सेवन में सावधानियाँ : – Trikut churn sevan me savdhani.

  1. यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।
  2. अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
  3. जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
  4. शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है Bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
  5. आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। त्रिकटु का सेवन गर्भावस्था में न करें।



गिलोय के ओषधीय गुण ,फायदे एवं नुकसान इन हिन्दी (AYURVEDIC USES, BENEFITS AND SIDE EFFECTS OF GILOY IN HINDI)

गिलोय के ओषधीय गुण ,फायदे एवं नुकसान इन हिन्दी (AYURVEDIC USES, BENEFITS AND SIDE EFFECTS OF GILOY IN HINDI)
















 माना जाता है। गिलोय के पत्ते पान के पत्तों की तरह बिलकुल देखने में लगती है। जीसको आप अपने घर में, बाग़  – बगीचे में या फिर सड़क के किनारे पर,किसी पेड़ या दीवार पर लगा सकते है। गिलोय बहुत ही लाभकारी है इसलिए इसको आयुर्वेद में अमृता कहा जाता है। व्यक्ति के शरीर पर गिलोय का उपयोग अमृत के समान होता है। इसका प्रयोग आयुर्वेदा में है। यह वात, कफ और पित्तनाशक होती है। साथ ही इसमें एंटीबायोटिक और एंटीवायरल तत्‍व भी होते है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। ऐसा भी कहा जाता है की गिलोय जिस पेड़ के ऊपर चढ़कर फेलती है, उसके सारे गुण अपने में ले लेती है। जैसे की अगर वो नीम के पेड़ पर फैली तो, जिसे नीम गिलोय भी कहते है , इसमें नीम के सारे गुण होते है साथ ही अपने गुणों के कारण यह अधिक लाभदायक हो जाती है।
गिलोय का रस थिका और करवा रस का होता है।ये शीत वीर्य होती है व पचने पर इसका असर बहुत होता है। गिलोय  स्वाद में चरपरी, हलकी, गरम, बलदायक, ज्वर नसक,खांसी, कुष्ठ,कृमि, वमन, श्वास, बवासीर, मूत्र कृच्छ, हृदय रोग को दूर करने वाला है |




गिलोय के फायदे इन हिन्दी (Benefits of Giloy in hindi)


गिलोय की बेल को टुकड़े-टुकड़े करके, उनका रस निकालकर इस्तेमाल किया जाता है। इसका रस कड़वा और कसैला होता है। गिलोय का पौधा अपने गुणों के कारण वात, पित्त और कफ से जुड़ी विभिन्न बीमारियों को ठीक करती है। गिलोय के स्वास्थ्य लाभ – बुखार, बवासीर, खांसी, हिचकी रोकना , मूत्राअवरोध, पीलिया, अम्लपित्त, एसिडिटी, आँखों के रोग, शुगर की बीमारी, आदि के नियंत्रण में रखने और रक्त विकारों को ठीक करने के लिए गिलोय का सेवन किया जा सकता है।
इसके रस को कई शरीर सम्बन्धी रोग जैसे पीलिया, गठिया, कब्ज, डेंगू, बुखार, पेट सम्बन्धी रोग, मूत्ररोग, त्वचा सम्बन्धी रोग आदि के लिए इस्तेमाल किया जाता है| आयुर्वेद में गिलोय का प्रयोग सांस संबंधी रोग जैसे दमा और खांसी को ठीक करने में विशेष रूप से किया जाता है। रक्तवर्द्धक होने के कारण यह खून की कमी यानी एनीमिया में बहुत लाभ पहुंचाती है।

रक्तातिसार और प्रवाहिका रोग में जब पेट में कोई खाद्य नहीं पचता है तो गिलोय के सेवन और गिलोय के स्वास्थ्य लाभ जानना कितना जरुरी है। गिलोय का क्वाथ या काढ़ा बनाकर भी उपयोग किया जाता है। गिलोय को गर्म औषधी मानी जाती है जो काली मिर्च और अदरक की तरह गर्म होती है |




गिलोय के फायदे बुखार करे ठीक Benefits of Giloy for Fever

गिलोय के फायदे बुखार करे ठीक Benefits of Giloy for Fever
गिलोय में antipyretic गुण पाए जाते हैं इसलिए इस हर्ब को बुखार कम करने वाली आयुर्वेदिक दवाइयों में इस्तेमाल किया जाता है| गिलोय को शहद के साथ लेने से मलेरिया का बुखार भी दूर हो जाता है|
आजकल चिकनगुनिया जैसे वायरल बुखार के ठीक होने के बाद भी मरीज महीनों तक जोड़ों के दर्द से परेशान रहते है इस स्थिति में गिलोय की पत्तियों से बना काढ़ा लाभ करता है | इसमें 10-20 मि.ली. अरंडी के तेल को मिलाकर पीने से और भी लाभ मिलता है |

१) गिलोय के ओषधीय गुण पाचन बेहतर बनाए (Gilloy’s herbal properties improve digestion in hindi)

गिलोय आपके पेट के सभी बीमारियो से लड़ता है। १/२ ग्राम गिलोय के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से पेट के सभी रोग ठीक हो जाते है। इसके साथ अगर आप गिलोय और शतावरी को साथ में पीस कर एक गिलास पानी में मिलाकर उबाले और जब काढ़ा आधा रह जाये तो इस काढ़े को सुबह-शाम पीयें तो इसका असर लाभदायक होगा। गिलोय का रस छाछ के साथ भी लिया जा सकता है। यह उपाय बवासीर से पीड़ित व्यक्ति के लिए उपयोग kiya जा सकता है।

गिलोय के औषधीय गुण पाचन बनाएं बेहतर – Giloy for Digestion in Hindi

गिलोय के औषधीय गुण पाचन बनाएं बेहतर – Giloy for Digestion in Hindi
मानसिक तनाव, चिंता, भय, अवसाद, असंतुलित खान पान आदि आपके पाचन को बुरी तरह से प्रभावित करते हैं| गिलोय में digestive और stress दूर करने वाले गुण होते हैं जो की बदहजमी, कब्ज, गैस, मरोड़ आदि समस्याओं को दूर करता है और आपके पाचन को बेहतर बनाता है| यह आपकी भूख को जागृत करवाने में भी मदद करता है| आप आधे ग्राम गुडूची के पाउडर को अमला के साथ ले सकते हैं या फिर गिलोय का juice पी सकते हैं या फिर गिलोय को छाछ के साथ मिलकर भी ग्रहण कर सकते हैं| गिलोय पेट में दर्द और मरोड़, जी मचलना, उलटी, acidity, लीवर problems को भी दूर करती है और अपच को रोकता है यदि आपका पेट सही होगा तब आपको मानसिक तनाव भी कम होगा और आपका जीवन खुशहाल बनेगा|

२) गिलोय के प्रयोग से रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाए (Increase the immune system with the use of Giloy in hindi)

गिलोय में एंटी ओक्सिडेंट गुण बहुत सी मात्रा में पाये जाते है। गिलोय के सेवन से आपके शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है , जिससे लोग जल्दी बीमार नहीं होते एवं अधिक समय तक स्वस्थ रहते है। गिलोय के रस का नियमित सेवन करने से शरीर के गुर्दे और सीना स्वस्थ रहता है। शरीर में मूत्र सम्बन्धी बीमारियो में भी गिलोय का अच्छा रिजल्ट है। गिलोय दोनों गुर्दे और शरीर से विषाक्त पढ़ार्थों को दूर कर के मुक्त कण को भी बाहर करता है। इसके अलावा बैक्टीरिया,मूत्र मार्ग में संक्रमण बीमारियो से भी लड़ता है।

३) पीलिये में उपयोगी है गिलोय (Useful in Jaundice in hindi)

गिलोय का सेवन करने से पीलिये में भी फायदा होता है। गिलोय में पाए जाने वाले तत्व jaundice को ठीक करने में रामबाण सिद्ध होते है।  गिलोय के पत्ते को कूट कर इसका काढ़ा बनाकर  और इसमें शहद मिलाकर नियमित सुबह शाम सेवन करे। छाछ के साथ गिलोय का रस मिलाकर सेवन करने से भी jaundice में जल्दी आराम मिलता है ।या इसके लिए गिलोय का एक चम्मच चूर्ण, काली मिर्च अथवा त्रिफला का एक चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से पीलिया रोग में लाभ होता है। या गिलोय के पत्तों को पीसकर उसका रस निकाल लें।

४) खून की कमी और रक्त विकार में गिलोय के फायदे (Benefits of Gilloy in Blood Disease in hindi)

गिलोय के नियमित सेवन से शरीर मे खून की कमी को पूरा किया जा सकता है।जिनके शरीर में खून की कमी है वे गिलोय के रस के साथ शहद मिलाकर सुबह – शाम सेवन करे। खून की कमी के साथ – साथ यह नुस्खा आपके खून को भी स्वस्थ रखने में मदद करेगा।

५) डेंगू बुखार के उपचार के लिए गिलोय के फायदे (Benefits of Giloy for the treatment of dengue fever in hindi)

गिलोय को एक पितनाशक औषधि कहा जाता है। ज्वर या जीर्ण ज्वर में गिलोय के पत्ते का काढ़ा बना कर लेने से बुखार से निजात मिलती है – बुखार में इस काढ़े को तीन समय तक प्रयोग कर सकते है।जिन लोगो को डेंगू ,चिकनगुनिया जैसे  बुखार हो एवं खून में प्लेटलेट्स भी कम हो रहे हो –गिलोय के कांड के साथ पपीते के पतों का रस मिलाकर काढ़ा तैयार करके नियमित सेवन करे। जल्द ही खून में प्लेटलेट्स की काउंट बढ़ेगा एवं रोग में भी आराम मिलजाएगा।

६) कैंसर में गिलोय के लाभ (Benefits of Giloy in Cancer in hindi)

गिलोय में कैंसर रोधी गुण पाया जाता है।ब्लड कैंसर के रोगी को गिलोय के रस के साथ गेंहू के ज्वारे का रस निकाल कर एक ही मात्रा में मिलाकर सेवन करने से काफी लाभ मिल्ने लगता है। दूसरे तरीके में गेंहू के ज्वारे का रस निकाल कर ,एक मात्रा में गिलोय का रस मिला ले और साथ में तुलसी के पतों को पिस कर इस रस में मिलाकर, इसका सेवनरोज करने से कैंसर के रोग में काफी असर मिलता है। यह उपाय kimotherapy से होने वाले शारीरिक नुकसानों से भी बचाता है ।

७) गिलोय रस के उपयोग त्वचा के लिए (Benefits of giloy juice for skin in hindi)

त्वचा के सभी बीमारी में गिलोय एक अच्छी औषधि है। गिलोय उम्र बढ्ने के सभी लक्षणो को कम करने में मदद करती है। चेहरे पर दाग धब्बे या किसी प्रकार फुंसी फोरे है तो गिलोय के फलों को पिस ले और इसका लेप चेहरे पर लगाए। फोड़े -फुंसियो में राहत मिलती है। गिलोय में एंटी बैक्टीरियल गुण मौजूद होते है अत: त्वचा के सभी प्रकार के इन्फेक्शन में भी गिलोय का प्रयोग किया जा सकता है।फोड़े फुंसियों के लिए गिलोय का रस एवं निम्बू का रस दोनों को समान मात्रा में मिलाकर चेहरे पर धीरे धीरे हाथों से मसाज करने से जल्द ही फोड़े एवं मुंहासे ठीक होने लगते है।

८) मोटापा कम करें गिलोय से (Reduce obesity with Giloy in hindi)

गिलोय मोटापा कम करने में भी मदद करता है। मोटापा कम करने के लिए गिलोय और त्रिफला चूर्ण को सुबह और शाम शहद के साथ लेने से फायदा मिलता है। या गिलोय, आंवला,हरड़, बहेड़ा मिला कर काढ़ा बनाकर इसमें शिलाजीत मिलाकर इसे पकाएं और सेवन करें। इस का नियमित सेवन से मोटापा रुक जाता है।

९) गिलोय को मस्तिष्क के टॉनिक के रूप में करे सेवन (Take the giloy as a tonic of the brain in hindi)

गिलोय में adaptogenic जडी बूटी का इस्तमाल किया जा सकता है। ये मस्तिष्क तनाव और चिंता को कम करता है। यह एक उत्कृष्ट स्वस्थ टॉनिक है। जो स्मृति को बढ़ावा देता है और आपको काम पर ध्यान लगाने में सहायता प्रदान करती है। गिलोय के फूल और जड़ से तयार 5ml गिलोय के रस का नियमित रूप से सेवन करने से आप एक मस्तिष्क टॉनिक का ग्रहण कर सकती है। गिलोय को अकसर एक बुढ़ापा विरोधी जड़ी बूटी बुलाया जाता है।

१०) गिलोय रस दमा के इलाज के लिए उपयोगी है (Gilloya juice is useful for the treatment of asthma in hindi)

गिलोय अस्थमा के इलाज के लिए काफी लाभदायक है। अस्थमा से होने वाली परेशानी जैसे की छाती में जकड़न,सांस लेने दिकत,खांसी,घरघराहट आदि होती है जिसके इलाज के लिए गिलोय का प्रयोग सर्वोपरि है जो की बहुत ही आसान भी है। यह अक्सर अस्थमा के रोगी के लिए प्रयोग  में चिकत्सकों द्वारा लिया जाता है। नीम और आवला के साथ मिलाकर इसका मिश्रण और भी प्रभावशाली हो जाता है।

११) ह्रदय एवं उन्माद रोगों में फायदेमंद (Beneficial in heart and frenzy diseases in hindi)

गिलोय पागलपन रोग के साथ – साथ हृदय के लिए भी फायदेमंद होती है | गिलोय के कांड को कूट कर काढ़ा बना कर, इस काढ़े में एक चम्मच ब्राह्मी का रस मिलाकर इसका सेवन करने से हृदय को बल मिलता है एवं उन्माद दूर होकर याददास्त शक्ति में बढ़ोतरी होती है |

१२) गिलोय के लाभ से कामेछा में वृद्धि (Growth from Gilroy’s benefits in hindi)

अगर कोई व्यक्ति को लगता है की वो बिस्तर पर अच्छे नहीं है मतलब सेक्स में तो चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है, आप तुरंत गिलोय का सेवन शुरू करेगे तो इसका अवश्य फल मिलेगा। पुरुषो के लिए भी गिलोय एक वरदान के समान है क्योकि गिलोय एक कामोद्धीपक दवा है जिसकी मदद से कामेच्छा की वृद्धि होती है, यह सेक्स इच्छाशक्ति को बढाता है।

१३) आँखों के लिए गिलोय के उपयोग (Giloy’s use for eyes in hindi)

गिलोय आंखो के लिए भी एक ओषधि ही है। नेत्र विकारो में भी गिलोय के अच्छे परिणाम देखे गए है | जिनकी आँखों की दृष्टि कमजोर हो वे गिलोय का सेवन करने से सब परेशानी से निजात मिल जाता है। आँखों पर गिलोय के पतों को पिस कर लगाने से भी लाभ मिलता है |

१४) गिलोय के उपयोग गठिया में राहत (Use of Giloy relief in arthritis in hindi)

गिलोय हमारे शरीर के कई कष्ट दूर करता है जैसे दर्द जो की आज एक आम बात है। मुख्य रूप से शरीर में दर्द आज कल रहता है यह दर्द जॉइंट्स ,कमर , पेट आदि किसी भी जगह हो सकता है। अगर आपके शरीर में दर्द  हो तो गिलोय् के ३ ग्राम चूर्ण को शहद् या घी के साथ रोज सुबह और शाम सेवन करे। शरीर के वातज विकारो में आराम मिलेगा।

१५) गिलोय के उपयोग से मधुमेह में राहत (Diabetes relief using Giloy in hindi)

अगर कोई व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित है तो गिलोय एक अच्छा ओषधीय है जो हिघ्पोग्लिसिमीक एजेंट के रूप में काम करता है।यह रक्तचाप और लिपिड के स्तर को कम करता है। टाइप2 के इलाज को आसान बनाता है।

१६) जलन दूर करें (Remove skin irritations with Giloy in hindi)

गिलोय में ओषधीय गुण है जो आपके पैरों में अगर जलन होती है और बहुत से नुषके अपना चुके है तो आप गिलोय का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए गिलोय के रस को नीम के पत्ते एवं आंवला के साथ मिलाकर काढ़ा बना लें। प्रतिदिन 2 से 3 बार इस काढ़े का सेवन करें इससे हाथ पैरों और शरीर की जलन दूर हो जाती है।

१७) कान दर्द में लाभकारी (Beneficial in ear pain in hindi)

गिलोय के पत्तों के रस को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है। साथ ही गिलोय को पानी में घिसकर और गुनगुना करके दोनों कानों में दिन में 2 बार डालने से कान का मैल निकल जाता है।

१८) उल्टी होने पर गिलोय के फायदे (Benefits of Giloy to reduce vomiting in hindi)

अगर आपको बैगर किसी कारण उल्टी हो रही है तो गिलोय इसमें फायदा कर सकती है। गिलोय के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से उल्टी होना बंद हो जाती है , साथ ही इसके प्रयोग से पेट भी स्वस्थ रहता है।

गिलोय के नुकसान (Sideeffects of Giloy in hindi)

यदि आप मधुमेह के दवाई ले रहे हो तो बिना अपने चिकित्सक की सलाह के बिना गिलोय का सेवन न करे। गिलोय कब्ज और कम रक्त शर्करा की समस्या भी पैदा कर सकता है। गर्भवती और स्तनपान करने वाली महिलाओ को इसके इस्तेमाल के लिए अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। गिलोय पाँच साल की उम्र या इससे ऊपर के बच्चो के लिए सुरक्षित है। हालांकि,गिलोय की खुराक दो से अधिक या बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं दी जन चाहिए।







गिलोय के फायदे इन हिन्दी (Benefits of Giloy in hindi)

१) गिलोय के ओषधीय गुण पाचन बेहतर बनाए (Gilloy’s herbal properties improve digestion in hindi)

गिलोय आपके पेट के सभी बीमारियो से लड़ता है। १/२ ग्राम गिलोय के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से पेट के सभी रोग ठीक हो जाते है। इसके साथ अगर आप गिलोय और शतावरी को साथ में पीस कर एक गिलास पानी में मिलाकर उबाले और जब काढ़ा आधा रह जाये तो इस काढ़े को सुबह-शाम पीयें तो इसका असर लाभदायक होगा। गिलोय का रस छाछ के साथ भी लिया जा सकता है। यह उपाय बवासीर से पीड़ित व्यक्ति के लिए उपयोग kiya जा सकता है।

२) गिलोय के प्रयोग से रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाए (Increase the immune system with the use of Giloy in hindi)

गिलोय में एंटी ओक्सिडेंट गुण बहुत सी मात्रा में पाये जाते है। गिलोय के सेवन से आपके शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है , जिससे लोग जल्दी बीमार नहीं होते एवं अधिक समय तक स्वस्थ रहते है। गिलोय के रस का नियमित सेवन करने से शरीर के गुर्दे और सीना स्वस्थ रहता है। शरीर में मूत्र सम्बन्धी बीमारियो में भी गिलोय का अच्छा रिजल्ट है। गिलोय दोनों गुर्दे और शरीर से विषाक्त पढ़ार्थों को दूर कर के मुक्त कण को भी बाहर करता है। इसके अलावा बैक्टीरिया,मूत्र मार्ग में संक्रमण बीमारियो से भी लड़ता है।

३) पीलिये में उपयोगी है गिलोय (Useful in Jaundice in hindi)

गिलोय का सेवन करने से पीलिये में भी फायदा होता है। गिलोय में पाए जाने वाले तत्व jaundice को ठीक करने में रामबाण सिद्ध होते है।  गिलोय के पत्ते को कूट कर इसका काढ़ा बनाकर  और इसमें शहद मिलाकर नियमित सुबह शाम सेवन करे। छाछ के साथ गिलोय का रस मिलाकर सेवन करने से भी jaundice में जल्दी आराम मिलता है ।या इसके लिए गिलोय का एक चम्मच चूर्ण, काली मिर्च अथवा त्रिफला का एक चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से पीलिया रोग में लाभ होता है। या गिलोय के पत्तों को पीसकर उसका रस निकाल लें।

४) खून की कमी और रक्त विकार में गिलोय के फायदे (Benefits of Gilloy in Blood Disease in hindi)

गिलोय के नियमित सेवन से शरीर मे खून की कमी को पूरा किया जा सकता है।जिनके शरीर में खून की कमी है वे गिलोय के रस के साथ शहद मिलाकर सुबह – शाम सेवन करे। खून की कमी के साथ – साथ यह नुस्खा आपके खून को भी स्वस्थ रखने में मदद करेगा।

५) डेंगू बुखार के उपचार के लिए गिलोय के फायदे (Benefits of Giloy for the treatment of dengue fever in hindi)

गिलोय को एक पितनाशक औषधि कहा जाता है। ज्वर या जीर्ण ज्वर में गिलोय के पत्ते का काढ़ा बना कर लेने से बुखार से निजात मिलती है – बुखार में इस काढ़े को तीन समय तक प्रयोग कर सकते है।जिन लोगो को डेंगू ,चिकनगुनिया जैसे  बुखार हो एवं खून में प्लेटलेट्स भी कम हो रहे हो –गिलोय के कांड के साथ पपीते के पतों का रस मिलाकर काढ़ा तैयार करके नियमित सेवन करे। जल्द ही खून में प्लेटलेट्स की काउंट बढ़ेगा एवं रोग में भी आराम मिलजाएगा।

६) कैंसर में गिलोय के लाभ (Benefits of Giloy in Cancer in hindi)

गिलोय में कैंसर रोधी गुण पाया जाता है।ब्लड कैंसर के रोगी को गिलोय के रस के साथ गेंहू के ज्वारे का रस निकाल कर एक ही मात्रा में मिलाकर सेवन करने से काफी लाभ मिल्ने लगता है। दूसरे तरीके में गेंहू के ज्वारे का रस निकाल कर ,एक मात्रा में गिलोय का रस मिला ले और साथ में तुलसी के पतों को पिस कर इस रस में मिलाकर, इसका सेवनरोज करने से कैंसर के रोग में काफी असर मिलता है। यह उपाय kimotherapy से होने वाले शारीरिक नुकसानों से भी बचाता है ।

७) गिलोय रस के उपयोग त्वचा के लिए (Benefits of giloy juice for skin in hindi)

त्वचा के सभी बीमारी में गिलोय एक अच्छी औषधि है। गिलोय उम्र बढ्ने के सभी लक्षणो को कम करने में मदद करती है। चेहरे पर दाग धब्बे या किसी प्रकार फुंसी फोरे है तो गिलोय के फलों को पिस ले और इसका लेप चेहरे पर लगाए। फोड़े -फुंसियो में राहत मिलती है। गिलोय में एंटी बैक्टीरियल गुण मौजूद होते है अत: त्वचा के सभी प्रकार के इन्फेक्शन में भी गिलोय का प्रयोग किया जा सकता है।फोड़े फुंसियों के लिए गिलोय का रस एवं निम्बू का रस दोनों को समान मात्रा में मिलाकर चेहरे पर धीरे धीरे हाथों से मसाज करने से जल्द ही फोड़े एवं मुंहासे ठीक होने लगते है।

८) मोटापा कम करें गिलोय से (Reduce obesity with Giloy in hindi)

गिलोय मोटापा कम करने में भी मदद करता है। मोटापा कम करने के लिए गिलोय और त्रिफला चूर्ण को सुबह और शाम शहद के साथ लेने से फायदा मिलता है। या गिलोय, आंवला,हरड़, बहेड़ा मिला कर काढ़ा बनाकर इसमें शिलाजीत मिलाकर इसे पकाएं और सेवन करें। इस का नियमित सेवन से मोटापा रुक जाता है।

९) गिलोय को मस्तिष्क के टॉनिक के रूप में करे सेवन (Take the giloy as a tonic of the brain in hindi)

गिलोय में adaptogenic जडी बूटी का इस्तमाल किया जा सकता है। ये मस्तिष्क तनाव और चिंता को कम करता है। यह एक उत्कृष्ट स्वस्थ टॉनिक है। जो स्मृति को बढ़ावा देता है और आपको काम पर ध्यान लगाने में सहायता प्रदान करती है। गिलोय के फूल और जड़ से तयार 5ml गिलोय के रस का नियमित रूप से सेवन करने से आप एक मस्तिष्क टॉनिक का ग्रहण कर सकती है। गिलोय को अकसर एक बुढ़ापा विरोधी जड़ी बूटी बुलाया जाता है।

१०) गिलोय रस दमा के इलाज के लिए उपयोगी है (Gilloya juice is useful for the treatment of asthma in hindi)

गिलोय अस्थमा के इलाज के लिए काफी लाभदायक है। अस्थमा से होने वाली परेशानी जैसे की छाती में जकड़न,सांस लेने दिकत,खांसी,घरघराहट आदि होती है जिसके इलाज के लिए गिलोय का प्रयोग सर्वोपरि है जो की बहुत ही आसान भी है। यह अक्सर अस्थमा के रोगी के लिए प्रयोग  में चिकत्सकों द्वारा लिया जाता है। नीम और आवला के साथ मिलाकर इसका मिश्रण और भी प्रभावशाली हो जाता है।

११) ह्रदय एवं उन्माद रोगों में फायदेमंद (Beneficial in heart and frenzy diseases in hindi)

गिलोय पागलपन रोग के साथ – साथ हृदय के लिए भी फायदेमंद होती है | गिलोय के कांड को कूट कर काढ़ा बना कर, इस काढ़े में एक चम्मच ब्राह्मी का रस मिलाकर इसका सेवन करने से हृदय को बल मिलता है एवं उन्माद दूर होकर याददास्त शक्ति में बढ़ोतरी होती है |

१२) गिलोय के लाभ से कामेछा में वृद्धि (Growth from Gilroy’s benefits in hindi)

अगर कोई व्यक्ति को लगता है की वो बिस्तर पर अच्छे नहीं है मतलब सेक्स में तो चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है, आप तुरंत गिलोय का सेवन शुरू करेगे तो इसका अवश्य फल मिलेगा। पुरुषो के लिए भी गिलोय एक वरदान के समान है क्योकि गिलोय एक कामोद्धीपक दवा है जिसकी मदद से कामेच्छा की वृद्धि होती है, यह सेक्स इच्छाशक्ति को बढाता है।

१३) आँखों के लिए गिलोय के उपयोग (Giloy’s use for eyes in hindi)

गिलोय आंखो के लिए भी एक ओषधि ही है। नेत्र विकारो में भी गिलोय के अच्छे परिणाम देखे गए है | जिनकी आँखों की दृष्टि कमजोर हो वे गिलोय का सेवन करने से सब परेशानी से निजात मिल जाता है। आँखों पर गिलोय के पतों को पिस कर लगाने से भी लाभ मिलता है |

१४) गिलोय के उपयोग गठिया में राहत (Use of Giloy relief in arthritis in hindi)

गिलोय हमारे शरीर के कई कष्ट दूर करता है जैसे दर्द जो की आज एक आम बात है। मुख्य रूप से शरीर में दर्द आज कल रहता है यह दर्द जॉइंट्स ,कमर , पेट आदि किसी भी जगह हो सकता है। अगर आपके शरीर में दर्द  हो तो गिलोय् के ३ ग्राम चूर्ण को शहद् या घी के साथ रोज सुबह और शाम सेवन करे। शरीर के वातज विकारो में आराम मिलेगा।

१५) गिलोय के उपयोग से मधुमेह में राहत (Diabetes relief using Giloy in hindi)

अगर कोई व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित है तो गिलोय एक अच्छा ओषधीय है जो हिघ्पोग्लिसिमीक एजेंट के रूप में काम करता है।यह रक्तचाप और लिपिड के स्तर को कम करता है। टाइप2 के इलाज को आसान बनाता है।

१६) जलन दूर करें (Remove skin irritations with Giloy in hindi)

गिलोय में ओषधीय गुण है जो आपके पैरों में अगर जलन होती है और बहुत से नुषके अपना चुके है तो आप गिलोय का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए गिलोय के रस को नीम के पत्ते एवं आंवला के साथ मिलाकर काढ़ा बना लें। प्रतिदिन 2 से 3 बार इस काढ़े का सेवन करें इससे हाथ पैरों और शरीर की जलन दूर हो जाती है।

१७) कान दर्द में लाभकारी (Beneficial in ear pain in hindi)

गिलोय के पत्तों के रस को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है। साथ ही गिलोय को पानी में घिसकर और गुनगुना करके दोनों कानों में दिन में 2 बार डालने से कान का मैल निकल जाता है।

१८) उल्टी होने पर गिलोय के फायदे (Benefits of Giloy to reduce vomiting in hindi)

अगर आपको बैगर किसी कारण उल्टी हो रही है तो गिलोय इसमें फायदा कर सकती है। गिलोय के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से उल्टी होना बंद हो जाती है , साथ ही इसके प्रयोग से पेट भी स्वस्थ रहता है।

गिलोय के नुकसान (Sideeffects of Giloy in hindi)

यदि आप मधुमेह के दवाई ले रहे हो तो बिना अपने चिकित्सक की सलाह के बिना गिलोय का सेवन न करे। गिलोय कब्ज और कम रक्त शर्करा की समस्या भी पैदा कर सकता है। गर्भवती और स्तनपान करने वाली महिलाओ को इसके इस्तेमाल के लिए अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। गिलोय पाँच साल की उम्र या इससे ऊपर के बच्चो के लिए सुरक्षित है। हालांकि,गिलोय की खुराक दो से अधिक या बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं दी जन चाहिए।
 online buy ------------

PATANJALI GILOY SAT Powder 5gm

त्रिफला चूर्ण के फायदे और नुकसान Triphala churna uses, benefits and side effects in Hindi

त्रिफला चूर्ण के फायदे और नुकसान Triphala churna uses, benefits and side effects in Hindi त्रिफला शब्द का शाब्दिक अ...