Thursday, May 31, 2018

Patanjali Trikatu Churna Powder in Hindi (पतंजलि त्रिकटु चूर्ण पाउडर)

त्रिकटु चूर्ण के फायदे और नुकसान - Trikatu Churna Benefits and Side Effects in Hindi


आजकल अक्सर शरीर अनेक रोगों से घिरा रहता है. ऐसे में अगर आप हर रोज़ त्रिकटु  का  1/4 चम्मच शहद के साथ सेवन करेंगे तो आप अनेक रोगों से सहज ही छूट सकते हैं. ये आयुर्वेद में मल्टीविटामिन का विकल्प है इसको आयुर्वेद का सप्लीमेंट भी कहते हैं. आइये जाने इसको बनाने और सेवन की विधि और साथ में इसके सेवन में अपनाई जाने वाली सावधानियों के बारे में. और हाँ ये बाज़ार में बना बनाया बहुत सारी कंपनियों का आता है.

त्रिकटु चूर्ण :

  • सोंठ, काली मिर्च और छोटी पिप्पली के चूर्ण को त्रिकुटा/त्रिकटु कहते है। त्रिकटु या त्रिकुटा के तीनो ही घटक आम पाचक हैं अर्थात यह आम दोष का पाचन कर शरीर में इसकी विषैली मात्रा को कम करते हैं। आमदोष, पाचन की कमजोरी के कारण शरीर में बिना पचे खाने की सडन से बनने वाले विशले तत्व है। आम दोष अनेकों रोगों का कारण है। इसे धारण दवा मत समझियेगा, यह बड़े काम का चूर्ण है। विशेषकर सर्दी में यह आपको चमत्कारी परिणाम देगा इसलिए एक बार जरूर आजमाएँ और ऊर्जा से ओत प्रोत निरोगी हो जाएँ।






त्रिकटु चूर्ण के सेवन से 15 जबरदस्त लाभ


त्रिकटु चूर्ण एक बहुत ही प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है। त्रिकटु चूर्ण, को तीन (त्रि) कटु पिप्पली (long pepper), काली मिर्च (Black pepper) और सोंठ (dry ginger) बराबर मात्रा में मिला कर बनाया जाता है। त्रिकटु पाचन और श्वास सम्बन्धी समस्याओं में लाभकारी है।
त्रिकटु के औषधीय गुण
1. एंटी-वायरल Anti-viral: वायरस के खिलाफ प्रभावी
2. एंटी-इन्फ्लेमेटोरी Anti-inflammatory: सूजन को कम करने वाला
3. कफ निकालने वाला expectorant
4. वातहर Carminative
5. कफहर Phlegm reducing
6. एंटीहाइपरग्लैसिमिक Anti-hyperglycemic: रक्त में ग्लूकोज को कम करता है
7. वमनरोधी Anti-emetic: उलटी रोकने वाला
8. एंटीहिस्टामिन Anti-histamine
त्रिकटु के सेवन के लाभ
1. त्रिकटु लीवर / यकृत liver को उत्तेजित stimulates कर बाइल bile का स्राव recreation कराता है जो की पाचन के लिए आवश्यक है।
2. त्रिकटु का सेवन पाचक अग्नि को बढ़ाता है जिससे पाचन बेहतर होता है।
3. यह वातहर है।
4. यह फेट फूलना, डकार आना आदि परेशानियों को दूर करता है।
5. यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को भी दूर करने में सहयोगी है।
6. यह मेटाबोलिज्म metabolism को बढ़ाता है जिससे वज़न कम करने में सहयोग होता है।
7. यह पोषक तत्वों की शरीर में अवशोषण के लिए उपलब्धता को बढ़ा शरीर को बल देने में मदद करता है।
8. यह कफहर है।
9. यह कफ दोष के कारण बढे उच्च रक्तचाप Kapha based hypertension में लाभ करता है।
10. यह उष्ण प्रकृति hot potency के कारण कफ का नाश करता है और फेफड़ों को स्वस्थ्य करता है।
11. यह शरीर से आम दोष Ama Dosha को नष्ट करता है।
12. यह लिपिड लेवल Lipid level को कम करता है।
13. यह शरीर से वसा fat को कम करता है।
14. यह बुरे कोलेस्ट्रोल LDLsऔर ट्राइग्लिसराइड triglyceridesलेवल को कम करता है।
15. यह हिस्टामिन का बनना रोकता है इसलिए एलर्जी में लाभप्रद है।
त्रिकटु चूर्ण के चिकित्सीय उपयोग
1. त्रिकुटा का सेवन मुख्य रूप से पाचन और श्वास अंगों के रोगों में किया जाता है। यह तासीर में गर्म है और पित्त को बढ़ाता है तथा कफ को साफ़ करता है।
2. त्रिकुटा का सेवन मेटाबोलिज्म तेज़ करता है, इसलिए इसे वज़न कम करने के लिए भी खाया जाता है। इसे अनेकों आयुर्वेदिक दवाओं में भी डाला जाता है क्योकि यह दवा के अच्छे अवशोषण में मदद करता है bioavailability of other drugs। इसके अतिरिक्त यह वात-कफ हर भी है।
सेवन विधि और मात्रा
1. त्रिकुटा को आधा ग्राम से तीन ग्राम की मात्रा में ले सकते हैं।
2. इसे पानी अथवा शहद अथवा खाने के साथ मिला कर, लिया जा सकता है।
3. सांस रोग में इसे शहद के साथ लेना चाहिए।
4. भोजन करने से पंद्रह मिनट पहले इसे खाने से पाचन सही से होता है।
5. भोजन को सुपाच्य बनाने के लिए आप त्रिकुटा को भोजन पर छिड़क कर भी खा सकते हैं ।
त्रिकटु चूर्ण के सेवन में सावधानियाँ, साइड-इफेक्ट्स
1. यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।
2. अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
3. जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
4. शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है Bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
5. आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। त्रिकटु का सेवन गर्भावस्था में न करें।
त्रिकटु घर पर कैसे बनायें?
1. घर पर यह चूर्ण बनाने के लिए आपके पास पिप्पली, काली मिर्च और सोंठ (सूखा अदरक) का होना ज़रुरी है।
2. इन्हें अलग-अलग बारीक पीस, बराबर मात्रा में अच्छे से मिला दें। इस चूर्ण को कपड़े से छान लें और किसी एयर-टाइट कंटेनर में रख लें।

त्रिकुटा चूर्ण इसे बनाने का तरीका
सोन्ठ अथवा सुन्ठी अथवा सूखी हुई अदरक, काली मिर्च, छोटी पीपल. इस तीनों को बराबर बराबर मात्रा में लेकर कूट पीसकर अथवा मिक्सी में डालकर महीन चूर्ण बना लें. ऐसा बना हुआ चूर्ण “त्रिकटु चूर्ण” या त्रिकुटा के नाम से जाना जाता है.
त्रिकुटा चूर्ण के उपयोग – यह चूर्ण अपच, गैस बनना, पेट की आंव, कोलायटिस, बवासीर, खान्सी, कफ का बनना, सायनोसाइटिस, दमा, प्रमेह तथा बहुत सी बीमारियों में लाभ पहुंचाता है. शुण्ठी पाचन और श्वास अंगों पर विशेष प्रभाव दिखाता है. इसमें दर्द निवारक गुण हैं. यह स्वाद में कटु और विपाक में मधुर है. यह स्वभाव से गर्म है.
पीपल  उत्तेजक, वातहर, विरेचक है तथा खांसी, स्वर बैठना, दमा, अपच, में पक्षाघात आदि में उपयोगी है. यह तासीर में गर्म है. पिप्पली पाउडर शहद के साथ खांसी, अस्थमा, स्वर बैठना, हिचकी और अनिद्रा के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है. यह एक टॉनिक है.
काली मिर्च – मरिच या मरिचा, काली मिर्च को कहते हैं. इसके अन्य नाम ब्लैक पेपर, गोल मिर्च आदि हैं. यह एक पौधे से प्राप्त बिना पके फल हैं. यह स्वाद में कटु, गुण में गर्म और कटु विपाक है. इसका मुख्य प्रभाव पाचक, श्वशन और परिसंचरण अंगों पर होता है. यह वातहर, ज्वरनाशक, कृमिहर, और एंटी-पिरियोडिक हैं. यह बुखार आने के क्रम को रोकता है. इसलिए इसे निश्चित अंतराल पर आने वाले बुखार के लिए प्रयोग किया जाता है.
अदरक – अदरक का सूखा रूप सोंठ या शुंठी कहलाता है. एंटी-एलर्जी, वमनरोधी, सूजन दूर करने के, एंटीऑक्सिडेंट, एन्टीप्लेटलेट, ज्वरनाशक, एंटीसेप्टिक, कासरोधक, हृदय, पाचन, और ब्लड शुगर को कम करने गुण हैं. यह खुशबूदार, उत्तेजक, भूख बढ़ाने वाला और टॉनिक है. सोंठ का प्रयोग उलटी, मिचली को दूर करता है.

त्रिकुटा चूर्ण के अद्भुत फायदे – Trikuta churn ke fayde.

  1. इसे सेन्धा नमक के साथ मिलाकर खाने से वमन, जी मिचलाना , भूख का न लगना आदि मे लाभकारी है।
  2. अर्जुन की छाल के साथ बनाया गया इसका काढा हृदय रोगों में लाभ पहुंचाता है।
  3. खांसी, कफ, वायु, शूल नाशक, व अग्निदीपक। मात्रा 1/2 से 1 ग्राम प्रातः-सायंकाल शहद से।
  4. त्रिकटु १/२ चमच्च नित्य गुनगुने पानी से प्रयोग जोड़ों के दर्द में राहत देता है।
  5. त्रिकटु , हल्दी , त्रिफला , वायविडंग , और मंडूर को बराबर की मात्रा में मिलाकर , इसे घी और शहद के साथ लेने से पीलिया ठीक होता है
  6. सायनस में अगर कफ जम जाता हो तो त्रिकटु और रीठा पानी में मिला कर नाक में डालने से सारा जमा हुआ कफ बाहर निकल आता है.
  7. त्रिकुटा करंज और सेंधा नमक घी और शहद के साथ बच्चों को देने से सुखा रोग में लाभ होता है.
  8. त्रिकुटा, जवाक्षार, और सेंधा नमक छाछ के साथ लेने से जलोदर ठीक होता है।
  9. टॉन्सिल्स में सुजन के लिए त्रिकुटा और अविपत्तिकर चूर्ण को सामान मात्रा में ले कर , इसका एक चम्मच गुनगुने पानी से ले।
  10. त्रिकुटा, त्रिफला तथा मुस्तक जड़, कटुकी प्रकन्द, निम्ब छाल, पटोल पत्र, वासा पुष्प व किरात तिक्त के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) और गुडूची को लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की बराबर मात्रा लेकर काढ़ा बना लें। इसे दिन में 3 बार लेने से आभिन्यास बुखार ठीक हो जाता है।
  11. त्रिकुटा (सोंठ, मिर्च और पीपल), त्रिफला (हरड़, बहेड़ा और आंवला), पटोल के पत्तें, नीम की छाल, कुटकी, चिरायता, इन्द्रजौ, पाढ़ल और गिलोय आदि को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसका सेवन सुबह तथा शाम में करने से सन्निपात बुखार ठीक हो जाता है।
  12. त्रिकुटा के बारीक चूर्ण में शहद मिलाकर चाटने से खांसीठीक हो जाती है।
  13. कब्ज में त्रिकुटा (सोंठ, काली मिर्च और छोटी पीपल) 30 ग्राम, त्रिफला (हरड़, बहेड़ा और आंवला) 30 ग्राम, पांचों प्रकार के नमक 50 ग्राम, अनारदाना 10 ग्राम तथा बड़ी हरड़ 10 ग्राम को पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 6 ग्राम रात को ठंडे पानी के साथ लेने से कब्जकी शिकायत दूर हो जाती है।
  14. त्रिकुट, त्रिफला, सुहागे की खील, शुद्ध गन्धक, मुलहठी, करंज के बीज, हल्दी और शुद्ध जमालगोटा को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पिसकर चूर्ण बना लें। इसके बाद भांगरेके रस में मिलाकर 3 दिनों तक रख दें। इसे बीच-बीच में घोटते रहे। फिर इसकी छोटी-छोटी गोलियां बना लें और इसे छाया में सुखा लें। इसमें से 1-1 गोली खाना-खाने के बाद सेवन करने से यकृत के रोग में लाभ मिलता है।
  15. त्रिकुटा, जवाखार और सेंधानमक को छाछ (मट्ठा) में मिलाकर पीने से जलोदर रोग ठीक हो जाता है।
  16. त्रिकुटा, चीता, अजवायन, हाऊबेर, सेंधानमक और कालीमिर्च को पीसकर चूर्ण मिला लें। इसे छाछ (मट्ठे) के साथ सेवन करने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
  17. त्रिकुटा, चिरायता, बांसा, नीम की छाल, गिलोय और कुटकी को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। फिर इसे छानकर इसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर सेवन करें। इससे पीलिया कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
  18. त्रिकुटा, बड़ी करंज, सेंधानमक, पाढ़ और पहाड़ी करंज को पीसकर इसमें शहद और घी मिलाकर बच्चों को सेवन कराने से `सूखा रोग´ (रिकेट्स) ठीक हो जाता है।

त्रिकटु चूर्ण के सेवन में सावधानियाँ : – Trikut churn sevan me savdhani.

  1. यह पित्त को बढ़ाता है। इसलिए पित्त प्रकृति के लोग इसका सेवन सावधानी से करें।
  2. अधिक मात्रा में सेवन पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकता है।
  3. जिन्हें पेट में सूजन हो gastritis, वे इसका सेवन न करें।
  4. शरीर में यदि पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है Bleeding disorder, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं तो भी इसका सेवन न करें।
  5. आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। त्रिकटु का सेवन गर्भावस्था में न करें।



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